Friday, September 5, 2025

Organic farming is a must these days

  In the times of extreme climate change, Organic Farming is a "Do or Die" situation. In climate change scenario the farmers are worst hit as their crops are at maximum risk all the times from sowing to reaping.     The chemical farming is very costly due to use of fertilizers and pesticides. This increases the risk proportionately. In such situations, Organic Farming is the only solution which has no or very little cost, therfore the risk is minimum.  

 Lets adopt and encourage Organic Farming for the health of citizens and conservation of Nature and Environment. 




Sunday, September 12, 2010

गोवंडी झुग्गी बस्ती डोक्यूमेंटरी

गोवंडी झुग्गी बस्ती – एक रिपोर्ट और डोक्युमेंटरी फ़िल्म


चेंबूर के पास स्थित गोवंडी झुग्गी बस्ती मुम्बई महानगरीय इलाकों में संभवत: सबसे अधिक त्रासद स्तिथी मे है।महानगर के एक दूर दराज किनारे पर स्थित होने के कारण इस बस्ती की तरफ बहुत कम लोगों का ध्यान जाता है।इस बस्ती मे लगभग बीस पच्चीस हजार निवासी भयंकर गरीबी के साथ साथ अकल्पनीय नारकीय जीवन जीने के लिये अभिशप्त हैं।

महानगर पालिका ने आसपास की संभ्रांत बस्तियों का कूडा कचरा इसी बस्ती मे जमा कर रखा है।यहां मुम्बई के जहरीले कचरे के कई पहाड से बन गये हैं जो दूर से ही आगन्तुकों का ध्यान खींचते हैं।बरसात के दिनों मे इन कचरे के पहाडों का कचरा बारिश के साथ बहकर बस्ती की गलियों मे दमघोंटू दुर्गंध पैदा करता है।बस्ती से होकर बहने वाला गन्दा नाला यहां के निवासियों की मुसीबत और अधिक बढा देता है।एक तरफ गंदा नाला और दूसरी तरफ कचरे के पहाड मिलकर ऐसी सामूहिक दुर्गंध पैदा करते हैं कि नाक पर कपडा रखने के बाद भी तीखी बदबू से निजात नही मिलती।यहां चारों तरफ मक्खी और मच्छरों का साम्राज्य है।साफ हवा,साफ पानी और पौष्टिक भोजन के अभाव मे बस्ती के लोगों मे कई बीमारियां चिंताजनक स्तिथि मे पहुंच गई हैं।

बस्ती के अधिकांश घरों मे टी.वी.और फेफडों से सम्बन्धित कई बीमारियां फैल चुकी हैं। स्कूली बच्चे भी इन गंभीर बीमारियों की चपेट मे हैं।बच्चों मे इन घातक बीमारियों का संक्रमण एक खतरनाक संकेत है। समय रहते हुए मुख्यत: गंदगी के कारण फैलने वाली इन बीमारियों की रोकथाम बहुत जरूरी है।

इस बस्ती के गरीब मेहनत कश मजदूर परिवारों के पास न अपने संसाधन हैं और न इनके पास संबन्धित सरकारी विभागों को अपनी स्थिति से अवगत कराने का समय एवम उचित जानकारी है।ज्यादातर लोग अनपढ हैं।बहुत से बच्चे भी १४ वर्ष तक के बच्चों की अनिवार्य शिक्षा कानून के बावजूद स्कूल नही जा पाते।एक तरह से गोवंडी बस्ती मुम्बई महानगर के माथे पर एक ऐसा कलंक है जिसके लिये हम सब जिम्मेदार हैं।यहां के गरीब लोग साक्षात नरक/ दोजख मे रह रहे हैं।यह नरक भी महानगर के संभ्रांत लोगो की जीवन शैली से ही उपजा नरक है।लेकिन इस नरक की सजा गोवंडी के निवासी भुगत रहे हैं।

कुछ समय पहले धर्म भारती मिशन नामक सामाजिक उत्थान के कार्यों मे जुटी संस्था ने इस बस्ती के तीन स्कूलों के बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने एवम शिक्षा का स्तर सुधारने तथा कम्पयूटर की शिक्षा देने की एक योजना शुरू की थी।धीरे धीरे कई सहृदय लोगों के सहयोग से इस संस्था ने यहां शौचालय आदि बनवाकर इलाके की सफाई आदि पर भी काफी काम किया है ।यह संस्था अपने सीमित साधनो के साथ आर.टी आई के माध्यम से भी यहां के निवासियों मे जागरूकता लाने के लिये प्रयास रत है।

धर्म भारती मिशन हालाकि पूरे प्रयत्न से अपने काम मे जुटा है लेकिन यहां की समस्याओं को देखते हुए इसे भी आटे मे नमक ही कहा जायेगा।इस काम को काफी बडे स्तर पर सरकारी एवम गैर सरकारी संस्थाओं की मदद से तेजी से आगे बढाने की आवश्यकता है।कई संस्थाओं एवम प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों ने धर्म भारती मिशन के साथ जुडकर गोवंडी के समग्र विकास की एक महत्वाकांक्षी योजना ‘गोवंडी कायाकल्प परियोजना’ शुरु की है ।इस परियोजना मे जनता के सहयोग से गोवंडी को प्रदूषण एवम बीमारी से मुक्त कर बस्ती के बच्चों को स्तरीय शिक्षा उपलब्ध कराकर यहां का समग्र विकास सुनिश्चित किया जाएगा।गोवंडी का कायाकल्प कर इसे एक आदर्श बस्ती बनाकर देश और दुनिया के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करना है।इस योजना को सफलता पूर्वक शीघ्रातिशीघ्र पूरा करने के लिये सभी मुम्बई वासियों के सक्रिय सहयोग की आवश्यकता है।

सभी मुम्बई वासियों से अनुरोध है कि इस पवित्र काम मे ष्रमदान एवम आर्थिक सहभागिता कर ‘गोवंडी कायाकल्प परियोजना’ को सफल बनाने मे समुचित सहयोग करें।धर्म भारती मिशन के इस काम मे सहयोग के लिये 'नवसृष्टि इंटरनेशनल ट्रस्ट' को देय चेक या ड्राफ्ट निम्न पते पर भेज सकते हैं।

संयोजक

धर्म भारती मिशन

56-बी मित्तल टावर्श, नरीमन प्वाइंट

मुम्बई-400021

फोन-91-22-22043208

ई-मेल- sing_param@rediffmail.com

वेबसाईट www.dbmindia.org

अधिक जानकारी के लिये उपरोक्त पते पर पत्र व्यवहार अथवा निम्न नंबर पर संपर्क हो सकता है-

परमजीत सिंह 9892059168

नोट: हाल ही मे लेखक आर.के.पलीवाल और आबिद सुरती ने धर्म भारती मिशन के लिये गोवंडी झुग्गी बस्ती पर एक डोक्यूमेंटरी फिल्म बनाई है।इसे सभी मुम्बई और देश वासियों को देखना चाहिये।संपर्क –


आर.के.पालीवाल 9930989569

Friday, July 2, 2010

गजल -५

                    गजल -  ५

वो रोजे तक कजा नही करते



हम नमाज भी अदा नही करते






सदियों की दूरियां हैं हमारे दरमियां


फासले इतनी जल्दी मिटा नही करते






क्यूं सजदा सा करते हो आतताई का


फरिस्ते इस तरह झुका नही करते






ठिठक कर दायें बायें मत देखो


राह मे यूं रुका नही करते






हम तो लंबी डगर के घोडे हैं राकेश


दिनों महीनों का मुताअ नहीं करते

Thursday, June 24, 2010

गजल -   ४          जुगनू






जुगनू जुटे हैं उजालों के हक मे


अंधेरा मगर भागता ही नही है






कहां छिप गये हैं चांद और सूरज


कोई वो जगह जानता ही नही है






उठो नौजवानों तुम्ही उठ के बैठो


तुम कौन चांद ओ तारों से कम हो






अंधेरे से लड्ते हुए जुगनुओं को


कंधे से कंधा कदम से कदम दो

Friday, June 18, 2010

गजल- 3

                          मीडिया


मीडिया पर माया का खौफ सा छाया हुआ


मीडिया अब आम लोगों के लिये माया हुआ




औरतों के जिस्म जो छपते थे पेज तीन पर


अब हर एक पेज पर मुद्द्दा यही छाया हुआ



सुर्ख खबरों का कोई आम से ताल्लुक नहीं


इन सभी खबरों का मौजू खास सरमाया हुआ




दंगा फसादी और फैशन दो बडे मसलए बने


इल्मो-अदब की पैरवी से भी कतराया हुआ



राकेश जब जम्हूरिअत लंगडी हुई है मुल्क की


मीडिया इस दौर मे रात का साया हुआ

Friday, June 11, 2010

गजल 2

                 आगाज़



बंटे हुए हैं  लोग  बडी    अनबन है


इन बन्द मकानो में बडी सीलन है



तपिस से झुलसे हैं इल्म के दरिया


नई   किताबों  मे  सिर्फ छीलन है



उठो कुछ तो करो तुम भी राकेश


खतरे मे   ताज   ओर नरीमन है



Monday, June 7, 2010

गजल - 1

                      गजल - 1


हम सफर तो नीम राह तक नही चले



कोई बताए दाल उनसे किस तरह गले






यादों की फेहरिस्त मे हैं हादसे कई


गनीमत है कि चलते रहे अपने काफिले






कुछ तो खुदा का कौल फेल कीजिए जरा


ये क्या कभी इधर कभी उधर जा मिले






तुमने अचानक आ के चोंका दिया मुझे


मैं सोचता था आओगे तुम देर दिन ढले






पैमाना दोस्ती का एक ये भी है राकेश


जो मंजिले मकसूद तक बेखतर चले